खामोश मोहब्बत

What is silent love....? 

जब बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने....
बिना रुके, बिना कहे प्यार की आदत सी होने लगती है.
....
समझ लीजिये प्यार हो रहा आहिस्ता-आहिस्ता.... 
हमें सच्ची मोहब्बत से ज्यादा एक सच्चे रिश्ते की ज़रूरत होती है, और कभी कभी इन्सान  इस बात को  समझने और परखने मे बहुत समय यूही बर्बाद कर देता है, और जब हम सच्ची मोहब्बत को समझ  पाते है तब,, शायद बहुत देर भी हो जाती है !


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हम जब किसी को एक अच्छे समय से मतलब की बहुत दिनों से जानते है, तो उस इंसान से अपने आप ही एक लगाव हो ही जाता है,
ये एक  प्राकृतिक  स्वभाव होता है की हम अगर किसी  भी इंसान को  लेकर थोड़ा सा भावुक  हो जाते है तो उस इंसान की हमें आदत सी हो जाती है, और एक आदत चाहे किसी भी चीज़ की हो उससे दूर जाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है !मोहब्बत कोई ऎसी चीज़ नहीं  जिसे कीमत चूका कर  खरीदा जाये, प्यार तो बस महसूस किया जाता है, 
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ख़ामोश  मोहब्बत:-
प्यार  तो किसी भी उम्र मे हो सकता है, प्यार की कोई भी उम्र नहीं होती है दोस्तों  प्यार तो एक आकर्षण नहीं , एक एहसास है जिसे सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जाये, ये  ज़रूरी नहीं होता है की हम जिसे भी चाहते हो, उससे  रूबरू होकर (उनसे मिलकर )हम अपनी बातों  से  इस बात का उनको एहसास दिलाये!प्यार आकर्षण इसलिए नहीं है क्यूंकि जो चीज़ हमें आकर्षित करती है ज़रूरी नहीं है कि वो अंदर से भी उतनी ही खूबसूरत ही हो, क्यूंकि लगभग आकर्षक वस्तुएं  वेहद नाजुक होती है,  प्यार तो  बेहद ख़ामोशी की चीज़ है, जताया नहीं जाता किसी से, जबकि दूसरा इन्सान खुद बा खुद महसूस करता है प्यार की उस गहराई को, क्यूंकि  सच्ची मोहब्बत मे कोई सौदेबाजी नहीं होती !

""मेरी ज़िन्दगी का हर एक ऐतबार है तुमसे,
                     हाँ ये सच है कि बहुत प्यार है तुमसे ""

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प्यार  कोई  मुकद्दर भी नहीं होता है, ऐसा नहीं है की हम जिसे पा ही सके सिर्फ वहीं हमारी मुहब्बत है हम कभी कभी अपने आपसे, ज़िद सी करने लगते है की वो उस इन्सान को हमें पाकर ही रहना है, जबकि प्यार मे कुछ ऐसा नहीं होता, इसमें हम किसी को ज़बरदस्ती नहीं पा सकते पर हम उस  शख्श पर इस बात का दबाव भी नहीं बना सकते, क्यूंकि  इश्क़ पर ज़ोर नहीं 
प्यार तो हो जाता है, बिना कुछ सोचें बिना  कुछ समझें बस, इसको किसी भी भेदभाव की ज़रूरत नहीं पडती बल्कि खुद बा खुद उस इन्सान से हमें मिलाती  है, जिससे हमें  प्यार होता है, वो कहते है ना की इश्क़ पर किसी का ज़ोर नहीं होता, पर  हमें कभी कभी ऐसा लगता है की एक ख़राब सा दिखता हुआ इन्सान भी अगर एक अच्छे इंसान से जुड़ सकता है तो फिर हम क्यों नहीं, ऐसा इसलिए क्यूंकि प्यार पर हम किसी का ज़ोर नहीं डालते, और प्राकृतिक तरह से इसको  छोड़ देते है,!
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Teri meri khamosh muhabbat

ख़ामोशी से किये गए प्यार का मतलब ये होता है कि, हम किसी से लगातार मिलते रहते है तब  हमें हर रोज उनसे बात करनें कि आदत  तो  हो ही जाती है, उसके साथ ही साथ, उस इंसान से एक लगाव जैसा लगने लगता है, और जब एक इन्सान को दूसरे इन्सान कि आदत हो जाती है तो, आदत  धीरे धीरे मुहब्बत मे कब बदल जाती है दोस्तों पता ही नहीं चलता, और  हम एक खामोश मुहब्बत को  अंजाम देते जाते हुए, बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने, हम उसको अपनी आदतों मे शुमार कर लेते है, और किसी  कि आदत तो आप जानते ही है, इसमें तो कुछ बताना ही नहीं, आदत किसी भी चीज़ कि हो हमें अंजाम तक ज़रूर पहुंचती है !!
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